सबसे खतरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना- पाश

मेहनत की लूट
सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार
सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी और लोभ की मुट्ठी
सबसे खतरनाक नहीं होती
बैठे-बिठाए पकड़े जाना
बुरा तो है
सहमी-सी चुप में जकड़े जाना
बुरा तो है
सबसे खतरनाक नहीं होता
कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना
बुरा तो है
जुगनुओं की लौ में पढ़ना,
मुट्ठियां भींच कर बस वक्त निकाल लेना
बुरा तो है
सबसे खतरनाक नहीं होता

सबसे खतरनाक होता है
मुर्दा शांति से भर जाना
तड़प का न होना
सब कुछ सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौट कर घर आना

सबसे खतरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना


सबसे खतरनाक वो घड़ी होती है
आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो
आपकी नजर में रुकी होती है
सबसे खतरनाक वो आंख होती है
जिसकी नजर दुनिया को मुहब्बत से चूमना भूल जाती है
और जो एक घटिया दोहराव के क्रम में खो जाती है
सबसे खतरनाक वो चांद होता है जो हर हत्याकांड के बाद वीरान हुए आंगन में चढ़ता है
लेकिन आपकी आंखों में मिर्चों की तरह नहीं पड़ता
सबसे खतरनाक वो दिशा होती है
जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए
और जिसकी मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा
आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए

                   अवतार सिंह संधू 'पाश'

Post a Comment

0 Comments