हे भारतीय युवक
ज्ञानी-विज्ञानी
मानवता के प्रेमी
संकीर्ण तुच्छ लक्ष्य
की लालसा पाप है।
मेरे सपने बड़े
मैं मेहनत करूँगा
मेरा देश महान हो
धनवान हो, गुणवान हो
यह प्रेरणा का भाव अमूल्य है,
कहीं भी धरती पर,
उससे ऊपर या नीचे
दीप जलाए रखूंगा
जिससे मेरा देश महान हो।
इस कविता की ये पंक्तियां ही इसके रचयिता की महानता और देश-प्रेम के बारे में बता रही है।
वर्तमान भारत में छात्रों एवं युवाओं के आखिरी प्रेरणास्रोत डॉ कलाम की एक मछुआरे के बेटे के घर जन्म लेना और बचपन में अखबार बेचने से लेकर भारत के मिसाइल मैन, लोगों के अपने राष्ट्रपति तथा बच्चों के सबसे प्रिय शिक्षक तक की यात्रा किसी परिकथा से कम नहीं है।
उनकी देश प्रेम की भावना, कड़ी मेहनत के बावजूद असफल होने के बाद भी हार न मानने का जज्बा, धर्म एवं सम्प्रदाय से परे प्राणिमात्र से प्रेम की भावना आज भी सबके लिए अनुकरणीय है।
यह डॉ कलाम की अथक परिश्रम का ही परिणाम है कि भारत आज रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बनने की ओर अग्रसर है। विकसित भारत के देखे अपने सपने को पूरा करने के लिए विज़न 2020 नामक पुस्तक में खींचा गया उनका खाका एक ऐसा मार्ग है जिस पर चलकर भारत देश वास्तविक रूप से विकसित एवं विश्वगुरु बन सकता है।
15 अक्टूबर 1931 को भारत के सुदूर दक्षिण राज्य तमिलनाडु के छोटे से कस्बे रामेश्वरम में जन्मा अपनी लगन और मेहनत से भारत के ज्ञान-विज्ञान का प्रकाश समस्त विश्व में फैलाने वाला यह चमकता सितारा आज ही के दिन 27 जुलाई 2015 को पंचतत्व में विलीन हो गया।
कलाम सर् की पुण्यतिथि पर उनको सादर नमन।
उनकी यह बात आज भी सबके लिए एक विश्वास और प्रेरणास्रोत है, "हम सब अपने भीतर दैवीय शक्ति लेकर जन्मे हैं। हम सबके भीतर ईश्वर का तेज छिपा है। हमारी कोशिश इस तेज पुंज को पंख देने की रहनी चाहिए, जिससे यह चारों ओर अच्छाइयां एवं प्रकाश फैला सके। प्रत्येक को कुछ-न-कुछ करने के लिए ही परवरदिगार ने बनाया है। उन्हीं में से मैं भी हूँ।"
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