ग्राम प्रधान :
भारत की पंचायती राज प्रणाली में गांव या छोटे कस्बे के स्तर पर ग्राम पंचायत या ग्राम सभा होती है। जो भारत के स्थानीय स्वशासन का प्रमुख अवयव है, सरपंच ग्राम सभा का चुना हुआ सर्वोच्च प्रतिनिधि होता है। प्राचीन काल से ही भारतवर्ष के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन में पंचायत का महत्वपूर्ण स्थान रहा है।ग्राम सभा की सरंचना :
ग्राम सभा में राज्य निर्वाचन आयोग (पंचायत एवं स्थानीय निकाय) द्वारा तैयार पंचायत क्षेत्र की वोटर लिस्ट में दर्ज सभी लोग सदस्य होते हैं, ग्राम सभा में 200 या उससे अधिक की जनसंख्या होती है। प्रत्येक सभा में एक अध्यक्ष होता है, जो ग्राम प्रधान, सरपंच अथवा मुखिया कहलाता है तथा कुछ अन्य सदस्य होते हैं।उत्तर प्रदेश में कुल 59,163 ग्राम पंचायतें हैं, प्रदेश में 16 करोड़ लोग गांव में रहते हैं। 14वें वित्त मनरेगा और स्वच्छ मिशन का वार्षिक औसत निकाला जाए तो एक पंचायत को 20 लाख से 30 लाख रुपये मिलते हैं।
ग्राम प्रधान के कार्य :
◆ गांव के रोड को पक्का करना एवं उनका रख रखाव रखना- ग्राम पंचायत में जितनी भी कच्ची पक्की सड़कों का निर्माण होता है, सभी कार्य ग्राम प्रधान को ही देखने होते हैं साथ ही पानी निकासी के ड्रेनेज सिस्टम की भी व्यवस्था करनी होती है।◆ गांव में पशुओं के पीने के पानी की व्यवस्था करना
◆ पशु पालन व्यवसाय को बढ़ावा देना, दूध बिक्री केंद्र और डेयरी की व्यवस्था करना- ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के पास पशुपालन कमाई का एक जरिया होता है लेकिन पशुपालकों को दूध बिक्री की आवश्यकता होती है इसलिए पंचायत स्तर पर दूध बिक्री केंद्र व डेयरी की व्यवस्था होनी चाहिए।
◆सिंचाई के साधन की व्यवस्था- फसलों की सिंचाई के लिए सरकारी ट्यूबेल की व्यवस्था, नहर से निकली नालियों की साफ-सफाई का काम भी ग्राम पंचायत का होता है।
◆गांव में स्वच्छता बनाए रखना- ग्रामीण क्षेत्र में नालियों की साफ-सफाई, गांव में दवाइयों का छिड़काव, साथ ही एएनएम आशा बहु टीका लगा रही है या नहीं ये भी देखना होता है।
◆गांव के सार्वजनिक स्थानों पर लाइट्स का इंतजाम करना- ग्राम पंचायत के सार्वजनिक स्थान जैसे मंदिर, मस्जिद आदि स्थानों पर लाइट की व्यवस्था करनी होती है, ताकि ऐसे स्थानों पर पर्याप्त उजाला रहे।
◆पंचायत में अलग अलग धर्म व समुदाय के लोगों के लिए दाह संस्कार स्थल व कब्रिस्तान की देख रेख भी ग्राम पंचायत को करनी होती है।
◆कृषि कार्यक्रमों में हिस्सा लेना- गांव में खेती किसानी को बढ़ावा देने के लिए समय समय पर कृषि गोष्ठि करानी होती है, ताकि किसानों को नई नई जानकारियां मिलती रहे।
◆कृषि को बढ़ावा देने वाले प्रयोगों को प्रोत्साहित करना- अगर कोई किसान कृषि क्षेत्र में नया प्रयोग करना चाहता है तो उसे प्रोत्साहित करना होता है, जिससे दूसरे किसान भी उनसे जानकारी ले सकें।
◆गांव में प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देना- गांव में बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए समय समय पर जागरूकता रैली निकालना एवं घर घर जाकर लोगों को शिक्षा का महत्व समझाना चाहिए, ताकि वो अपने बच्चों को विद्यालय भेजें।
◆खेल का मैदान बनवाना व खेल को बढ़ावा देना- बच्चों के लिए खेल का इंतजाम करना व खेल कूद से सम्बंधित सामान की व्यवस्था करना। विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता कराकर बच्चों में खेल व पढ़ाई की भावना को प्रोत्साहित करना।
◆स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाना- गांव में सार्वजनिक शौचालय बनाना एवं उनका रख रखाव करना। जिनके घर में शौचालय का निर्माण हो गया है, उन्हें प्रयोग करने के लिए प्रेरित करना और लोगों को स्वच्छता अभियान के लिए प्रेरित करना।
◆बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ स्कीम को आगे बढ़ाना- बेटियों को बढ़ावा देने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ स्कीम को आगे बढ़ाना, जिससे लोग अपनी बेटियों को स्कूल भेजें।
◆गांव की सड़कों और सार्वजनिक स्थान पर पेड़ लगाना- गांव को हरा भरा बनाने के लिए गांव की सड़कों और सार्वजनिक स्थान पर पेड़ लगाना और दूसरों को प्रोत्साहित करना साथ ही उसकी देखभाल करना।
◆गरीब बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था करना- शिक्षा के अधिकार के तहत एक से लेकर आठ तक मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था करना।
ग्राम प्रधान के तौर पर मेरा कार्य:-
◆हर घर में शौचालय बनाना और गांव में पक्की सड़क बनाना, साथ ही जल निकासी के लिए नाली बनाना।◆प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना जिससे बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके और गांव का विकास हो।
◆गांव में भाईचारे का माहौल बनाना ताकि गांव के लोग प्रेम से मिलजुल कर रहें।
◆सरकार ने जो योजनाएं चलाई हैं उससे गांव वालों को लाभान्वित करना।
◆गांव के पंचायत भवन में हर महीने सभी सदस्यों की बैठक कराना, जिसमें सभी गांव वालों की समस्या सुनकर उनका निस्तारण करना।
◆सड़क पर लाइट की व्यवस्था करना जिससे लोगों को आने जाने में दिक्कत न हो।
1 Comments
Very nice
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