सादगी - राजीव

भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही सादगी का महत्व रहा है, हमारी सरलता व सादगी की पूरी दुनिया कायल रही है । हमारे द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का यह कथन तो विश्व प्रसिद्ध हुआ कि, 

                "सादा जीवन, उच्च विचार"


सरलता एवं सादगी से जीवन व्यतीत करने के लिए मनुष्य को कोई ताम झाम की आवश्यकता नहीं होती, न ही किसी दिखावेपन की आवश्यकता होती है। इस बात को हम बिज़नेस टायकून रतन टाटा की जिंदगी से अच्छे से समझ सकते हैं।

सादगी दिवस अमेरिका के मशहूर लेखक, कवि, पर्यावरणविद, इतिहासकार और दर्शनशात्री हेनरी डेविड थोरी के जन्मदिन (12 जुुलाई) के अवसर पर मनाया जाता है।
इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहेंगे कि जिस संस्कृति में सरलता व सादगी जीवन के सर्वोच्च मूल हैं, जीवन जीने के प्रमुख आधार में से एक है। जिसने दुनिया को जीवन जीने का मंत्र सिखाया, आज वो समाज पश्चिमी सभ्यता और बाजारवाद में इस कदर खो गया है कि उसे सादगी जैसे जीवन के अमूल्य धरोहर को खोकर एक दिवस के रूप में मनाना पड़ रहा है।

हालांकि अब चीजें बदल रही हैं, कुछ समय पहले तक जहाँ हमारे जीवन में बनावटीपन इतना ज्यादा घर कर गया था कि हम प्रत्येक क्षण इसी में व्यतीत करते रहते थे कि कितना ज्यादा दिखावा कर सकें, लोगों को प्रभावित कर सकें। इस वजह से अनावश्यक खर्चे भी बढ़े और हमारी हालात 

       "आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपइया"

वाली हो गई। इससे खुशी और संतुष्टि नहीं ही मिली पर हां आर्थिक और मानसिक परेशानी जरूर घर कर गई। अब जब इस कोरोना के संकटपूर्ण समय में लोगों की कमाई के साथ साथ अनावश्यक खर्चे और दिन भर भागदौड़ भरी जिंदगी से थोड़ी राहत मिली है, तो वे यह सोच पा रहे हैं कि सादगी में ही असली शांति है।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर और शिक्षक अभिषेक शुक्ला कहते हैं, "सादगी ही विशेषज्ञता है, एक ऐसी विशेषज्ञता जो हमें सुखी व सम्पन्न जीवन के काबिल बना सकती है।'





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2 Comments

  1. Thank you rajeev sir for mentioning my words in your beautiful article in simplicity.

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